गेहूॅं की कटाई उपरान्त प्रबन्धन, भण्डारण एवं मूल्य संवर्धन

प्रो. आर0 के0 यादव, आनुवंशिकी एवं पादप प्रजनन विभाग, चॅं0 शे0 आ0 कृषि एवं प्रौ0 वि0 वि0 कानपुर & एग्जीक्यूटिव एडीटर-ICN ग्रुप 

कानपुर। आज से छः दशक पहले जब देश में लोगों को पेट भरने के लिए काफी कठिनाई का सामना करना पड रहा था और खेती बहुत कम क्षेत्रफल पर होती थी, उस समय देश का खाद्यान्न उत्पादन 500 लाख टन था। आज यह बढकर लगभग 2900 लाख टन हो गया है। खाद्यान्न के कुल उत्पादन में 13.37 फीसदी हिस्सेदारी गेंहॅूं के रूप में सबसे बडे उत्पादक देश से है। देश में 30 प्रतिशत ही गेंहॅूं की सरकारी खरीद होती है। बाकी 70 प्रतिशत गेंहॅूं का भण्डारण अन्य स्त्रोत द्वारा होता है। कुल गेंहॅूं उत्पादन का लगभग दो तिहाई हिस्से का भण्डारण किसान, छोटे व बडे व्यापारी अपने स्तर पर करते है। सुरक्षित भण्डारण तकनीकों के कई पहलुओं की अनदेखी भी की जाती है। ऐसे में ग्रामीण स्तर पर सुरक्षित भण्डार तकनीकों का विकास तथा उनके प्रसार की आवश्यकता है।

भण्डार का प्रमुख उद्देश्य यह होता है कि बीजों/आनाज के जमाव एवं गुणवत्ता में किसी प्रकार का कोई परिवर्तन न हो। देश में पैदा होने वाले गेंहॅूं का सुरक्षित भण्डारण राष्ट्रीय जिम्मेंदारी है, क्योकि इस पर देश की सुरक्षा टिकी हुयी है। हरित क्रान्ति और कृषि शोध ने हमारी फसलों की पैदावार बढानें में अहम भूमिका निभाई है। इसी का नतीजा है कि चालू वित्तीय वर्ष में रिकार्ड गेंहॅॅूं उत्पादन की सम्भावना है।

आज सम्पूर्ण क्षमता से करीब दो गुने तक भण्डारण की आवश्यकता है। साथ-साथ इसकी गुणवत्ता में आमूलचूल परिवर्तन की आवश्यकता है। 900 लाख टन भण्डारण के लिए भारतीय खाद्य निगम, केन्द्र तथा राज्य स्तरीय भण्डारागार निगम व निजी स्तर पर इस दिशा में प्रयास किये और  लगभग 900 लाख टन के करीब है। मौजूदा समय में हमारे यहॉं के भण्डारण क्षमता के आंकडे इस प्रकार हैः-

कवर्ड – 749.90 लाख टन
सी.ए.पी. – (कवर्ड एवं प्लिंथ) – 127.47 लाख टन
कुल – 877.37 लाख टन

भण्डारण तकनीकः
भौतिक, जैविक और रसायनिक तीनों का अनाज की सुरक्षा के लिए सिद्धान्त सामूहिक समन्वियत कीट प्रबन्धन (आई0पी0एफ0) के रूप में जाना जाता है।

भौतिक कारकः

तापक्रम, गेहूॅं के दानों में आर्द्रता, आक्सीजन की उपलब्धता काफी हद तक तय करती है कि भण्डारण समुचित अवस्था में हो रहा है कि नही, क्योकि तापक्रम जब 20-40 डिग्री सेन्टीग्रेट के बीच होता है तो उस समय कीटों की बढवार रूक जाती है। गेंहॅूं के दानों की आर्द्रता 10 प्रतिशत से अधिक नही होनी चाहिए। भण्डारण में आक्सीजन की उपलब्धता पर भी संक्रमण निर्भर करता है क्योकि उपलब्ध आक्सीजन कों कीटों के द्वारा ग्रहण कर लिया जाता है जिससे कार्बन डाई आक्साइड गैस का स्तर बढ जाता है।

कटाई के पूर्व भण्डारण की तैयारीः
1. भण्डारण से पहले अपने बीज / अनाज को साफ करके सुखा लें।
2. बोंरों में रखें अनाज को सीलन से बचाने के लिए बोरों को लकडी के पटरों पर रखे।
3. बीज / अनाज बोरों में भरने से पहले बोरे धूप में सुखा लें।
4. भण्डारण के लिए घरेलू धातु की कोठियों/टंकियों का इस्तेमाल करें।
5. भण्डारण से पूर्व अनाज को 8-9 प्रतिशत नमी की मात्रा तक सुखा लेना चाहिऐ।
6. कोठियों एवं गोदामों को अच्छी तरह साफ कर लें।
7. भण्डारण पात्रों के सभी छिद्रों, छतों एवं दीवारों की सभी दरारों को बन्द कर दें।
8. कोलतार से 2 मीटर की उचाई तक भण्डारण की दीवारों को पोत देना चाहिए।
9. गोदामों की दीवारों, छतों को डी0डी0टी0पी0 76, डब्ल्यू0 एस0सी0 7 मिली0 प्रति लीटर का 3 लीटर घोल बनाकर 100 वर्ग मीटर जगह के हिसाव से छिडकाव करें।

धूम्रीकरणः धूम्रीकरण दो प्रकार से किया जाता है-
1. शेड धूम्रीकरण :  इसमें पूरे भण्डारण गृह या गोदाम का धूम्रीकरण करते है। ई0टी0सी0पी0 मिश्रण का 50 ग्राम प्रति कुन्तल की दर से प्रधूमन करना चाहिए या एल्यूमिनियम फास्फाइड की 3 ग्राम वजन की 21 गोलिया 28 क्यूविक मीटर स्थान में प्रयोग करें।
2. कवर धूम्रीकरण : इसमें बोरों के केवल चयानिक स्थानों या ब्लाकों का धूम्रीकरण करते है। इसमें एल्यूमिनियल फास्फाइड की 3 गा्रम वजन की 3 गोलियॉं प्रति टन अनाज के हिसाब से उपयोग करें।

जैविक कारकः
गेंहॅूं की फफॅूदी व कीटों द्वारा पहुॅंचाये गये नुकसान को दो भागों में बांटा जा सकता है। एक तो गुणात्मक हानि और दूसरा परिणात्मक हानि।
फफॅूदी को दो समूह में बांटते है-
1. खेत की फफॅूदी – खेत की प्रमुख फफॅूदी में आल्टरनेरिया हेल्मिन्थस्पोरियम, कार्बुलेरिया, फयूजेरियम तथा क्लेस्पोरियम पायी जाती है। जो कि बीजों में 25-30 प्रतिशत नमी रहने के कारण उत्पन्न होती है। इस प्रकार के फफूॅंद ग्रसित बीजों में जमाव में कोई कमी नही होती, परन्तु फसल रोगग्रसित होती है।
2. भण्डारण गृह फफॅूदी –  इसमें स्परजिलस तथा पैनिसिलियम नामक फफॅूदी की विभिन्न किस्में पायी जाती है। जो कि बीजों के जमाव व गुणवत्ता को अत्यधिक प्रभावित करती है।

फफॅूदी का नियंत्रण – भण्डारण करने से पहले गेहॅूं को दो-तीन दिन अच्छी तरह धूप में सुखाने के बाद ठण्डा करके ही भण्डारण करना चाहिए।
प्रमुख कीट –

गेंहॅूं में लगनें वाले कीट आर्थोंपोडा संघ से सम्बन्ध रखते है और यह मुख्यतः कोलियापटेरा एवं लेपिडोपटेरा वर्ग में पाये जाते है। जबकि कीटों के ऊपर आक्रमण करने वाले प्राकृतिक शत्रु मुख्यतः हैमीपटेरा, हायमेनोपटेरा वर्ग के होते है। सामान्यतया इन कीटों को कई भागों जैसे बाहरी और आन्तरिक हिस्सों को खाने वाले, क्षति पहुचाने की सीमा के आधार पर बांटा जा सकता है-

संक्रमण आने का श्रोत-
1. कुछ कीटों का प्रकोप खेत से ही दानों के ग्रसित होने के कारण अनजाने में चला जाता है।
2. भण्डारण गृह की दीवारों में दरारों तथा पुरानी बोंरियों में पहले से कीटों की भिन्न अवस्थाये रहती है जो नये रखे अनाज में पहुच जाती है।
3. कटाई – मडाई वाले उपकरणों के द्वारा भी कीट या उनकी अवस्थाये भण्डारण में पहुॅंच जाती है।

गेंहॅूं के भण्डार में लगने वाले प्रमुख कीटः
वैज्ञानिक नाम साधारण नाम परिवार क्षति पहुचाने वाली अवस्था

कोलिओपटेरस कीटः
सिटोफिलस ओराइजी चावल की सुरसुरी, विदेशी सुरसुरी, पहाडी सुरसुरी, सूंड वाली सुरसुरी करकुलियोनिडी डिम्मक एवं प्रौढ
राइजोयर्था  डोमिनिका घुन लेसर ग्रेन बोरर बोस्हीकिडी प्रौढ एवं डिम्मक
ट्ोगोडमग्रिनेरियम पाई, खपरा डरमेस्टिडी डिम्मक

लेपिडोपटेरस कीटः
साइटोट्ोगा सिरियला अनाज का पतंगा ग्लोचिडी डिम्मक

मूल्य संवर्धनः

अनाज के भण्डारण के अलावा उसका मूल्य समर्थन की एक समस्या किसानों के उपज की सही कीमत निर्धारित करने के लिए 1965 में एग्रीकल्चरल प्राइसेज कमीशन संस्था का नाम किया गया था। फसल का उचित मूल्य देने के लिए सरकार हर साल एम0एस0पी0 आदि न्यूनतम समर्थन मूल्य तय करती है। 1985 में इस संस्था का नाम बदलकर कमीशन फार एग्रीकल्चरल कस्ट्ड एवं प्राइजेज हो गया। चालू रबी वर्ष के लिए गेंहॅूं का एम0एस0पी0 1925 रूपये प्रति क्विटंल तय किया गया है। देश में खाद्यान्न की सरकारी खरीद के लिए मुख्य रूप से भारतीय खाद्य निगम (एफ0सी0आई0) जिम्मेदार है।

समर्थन मूल्यः
साल एम0एस0पी0 (रूपये में)
2010-11 1100.00
2011-12 1120.00’
2012-13 1285.00
2013-14 1350
2014-15 1400
2015-16 1450
2016-17 1525
2017-18 1625
2018-19 1735
2019-20 1840
2020-21 1925
’50 रूपये अतिरिक्त बोनस

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